कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है…यह लाइन सुनते ही आपके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई होगी। एक बेहतरीन कवि और आप पार्टी के नेता कुमार विश्वास की बहतरीन कामों में से एक यह कविता है जिसे युवा बहुत ही ध्यान से सुनते हैं। उन्होंने अपनी कविताओं और शायरी से और अपने सुरीले कंठ की बदौलत हिंदी को दुनियाभर में प्रतिष्ठित किया है।
कोई दीवाना कहता है…
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बैचेनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूं, तू मुझसे दूर कैसा है
ये तेरा दिल समझता है ये मेरा दिल समझता है
मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
यहां सब लोग कहते हैं मेरी आंखो में आंसू है
जो तूस समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है
समंदर पीर का अंदर है, लेकिन रो नहीं सकता
यह आंसू प्यार का मोती है, इसको खो नहीं सकता,
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन लें
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता
भ्रमद कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
बांसुरी चली आओ….
तुम अगर नहीं आई गीत नहीं गा पाऊंगा
सांस सोछ छोड़ेगी, सुर ना सजा पाऊंगा
तान भावना क ह शब्द शब्द दर्पण हैं
बांसुरी चली आओ होठ का निमंत्रण है
तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है
तीर पार कान्हा से दूर राधिका सी है
रात की उंदासी को याद संग खेला है
कुछ गलत ना कर बैठें मन बहुत अकेला है
औषिधी चली आओ चोट का निमंत्रण है
बांसुरी चली आओ होंठ का निंमत्रण है
तुम अलग हुई मुझसे सांस की ख़ताओ ले
भूख की दलीलों से व्कत की संजाओं से
दूरियों को मालूम है दर्द कैसे सहना है
आंख लाख चाहे पर होंठ से ना कहना है
कंचना कसौटी को खोट का निमंत्रण है
बांसुरी चली आओ होंठ का निमंत्रण है
ओ मेरे पहले प्यार
ओ प्रीत भरे संगीत भरे
ओ मेरे पहले प्यार!
मुझे तू याद न आया कर
ओ शक्ति भरे अनुरक्ति भरेट
नस नस के पहले ज्वार
मुझे तू याद ना आया कर
पावस की पहली फुहारों से
जिसमें मुझको कुछ बोल दिया
मेरे आंसु मुस्कानों की
कीमत पर जिसने तोल दिया
जिसने अहसास दिया मुझको
मैं अंबर तक उठा सकता हूं
जिसने खुद को बाधां लेकिन
मेरे सब बंधन खोल दिए
ओ अनजाने आकर्षण से
ओ पावन मधुर समर्पण से मेरे गीतों के सार
मुझे तू याद ना आया कर
मैं तुम्हें अधिकार दूंगा
मैं तुम्हें अधिकार दूंगा
एक अनसूंघे सुमन की गंध सा
मैं अपरिमित प्यार दूंगा
मैं तुम्हें अधिकार दूंगा
सत्य मेरे जानने का
गीत अपने मानने का
कुछ सजल भ्रम पालने का
मैं सबल आधार दूंगा
मैं तुम्हें अधिकार दूंगा
ईश को देती चुनौती
वारती शत-स्वर्ण मोती
अर्चना की शुभ्र ज्योति
मैं तूम्हीं पर वार दूंगा
मैं तुम्हें अधिकार दूंगा
तुम की ज्यों भागीरथी जल
सार जीवन का कोई पलट
क्षीर सागर का कमल दल
क्या अनघ उपहार दूंगा
मैं तुम्हें अधिकार दूंगा